राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा 5 हेक्टेयर तक के खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर किसानों को 70% प्रतिशत की सब्सिडी मुहैय्या कराई जा रही है।
पानी की मूल्य राजस्थान के किसान से बढ़कर कोई नहीं जानता है। भारत में अधिकतर कृषि का क्षेत्रफल आज भी बारिश की मेहरबानी पर ही निर्भर है।
अब ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन कृषक और कृषि दोनों के लिए ही लाभकारी कदम सिद्ध हो रहा है। यह मिशन किसान भाइयों के लिए वरदान के स्वरुप में सामने आया है।
जोबनेर के बोबास गांव के फूलचंद बैरवा एक ऐसे ही किसान हैं, जिन्होंने इस मिशन का लाभ प्राप्त किया है। फूलचंद का कहना है, कि पहले वे पारंपरिक तौर तरीकों से खेती करते थे, जिसके कारण उनकी खुशहाली मानसून निर्धारित करती थी।
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पानी के अभाव के चलते पहले समय पर सिंचाई नहीं हो पाती थी, जिसकी वजह से बहुत बारी उनका परिश्रम और फसल दोनों बर्बाद हो जाती थी।
राजस्थान कृषि विभाग के मुताबिक, कुछ समय पहले ही फूलचंद को राज्य सरकार के राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन (Rajasthan Micro Irrigation Mission) के अंतर्गत संचालित बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति की जानकारी हांसिल हुई थी।
फूलचंद ने जानकारी मिलने के बाद बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति के लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरा किया। आवेदन करने के बाद उनके डेढ़ हेक्टेयर खेत में फॉर्म पॉउंड तैयार किया गया, जिसमें ड्रिप सिस्टम (Drip System) के माध्यम से पूरे खेत में बूंद-बूंद सिंचाई होने लगी।
राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के अंतर्गत अधिकतम 5 हेक्टेयर के खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर किसानों को 70% प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।
वहीं, लघु एवं सीमांत किसानों महिला किसानों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों को 5% प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान मिलेगा।
बतादें, कि 1.80 लाख रुपये की लागत से ड्रिप सिस्टम को तैयार किया गया है। इतनी बड़ी धनराशि के भुगतान में राजस्थान सरकार ने सहयोग दिया।
सूक्ष्म सिंचाई मिशन के ड्रिप सिस्टम के अंतर्गत समकुल लागत धनराशि का 75% प्रतिशत भुगतान राजस्थान सरकार ने किया।
फूलचन्द का कहना है, कि इस ड्रिप सिस्टम से 90% प्रतिशत पानी की बचत हुई और पैदावार और आमदनी में भी काफी वृद्धि हुई।
अब वे न सिर्फ चैन से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, बल्कि अपने साथ ही किसानों को भी इस योजना का लाभ समझाते हैं। वह चाहते हैं, कि ज्यादा से ज्यादा किसान भाई इस मिशन का लाभ हांसिल कर सकें।